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मनोचिकित्सा एंग्जायटी पर होगा रिसर्च
संवाद प्लस।

जयपुर. शहर में मनोचिकित्सालय की ओर से हाल ही बच्चों के व्यवहारिक और भावनात्मक बदलाव पर रिसर्च शुरू की गई है। यह रिसर्च जयपुर के स्कूलों के कुछ बच्चों पर की जाएगी। अस्पताल की और से इसका प्रारूप भी तैयार किया है। मनोचिकित्सालय की टीम शहर के स्कूल जाएगी और शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करेगी। इसके बाद शिक्षक भी बच्चों से बात कर रिसर्च से संबंधित जानकारी जुटाएंगे।


इस तरह की जानकारी जुटाई जाएगी

■सिर दर्द, समय अकेले बिताना।

■बुरा महसूस करना, बेचैन रहना।

■बात-बात पर गुस्सा, अच्छा

■महसूस नहीं करना।

■कक्षा में सोना और दूसरे को

■दोषी ठहराना।

■सोने में परेशानी, दोस्तों में कम रुचि।

■ पढ़ाई में मन नहीं लगना और बातें

■साझा नहीं करना।

■स्कूल में कम रुचि, कक्षा में गुमसुम रहना

इसीलिए पड़ रही है जरूरत

■समय के साथ बच्चों में व्यवहारिक भावनात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। मनोचिकित्सकों के पास ऐसे केस आ रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रख रिसर्च का जा रही है। चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों में इस तरह के बदलाव का कारणों का पता लगाया जा रहा है। शिक्षक और अभिभावक बच्चों के करीब रहते हैं। ऐसे में उन्हें भी इसमें शामिल किया है।

अगर बच्चे का व्यवहार भी बदला हैं तो वह किसी न किसी मनोरोग के लक्षण हैं। आखिर इसके कारण क्या हैं। इसी को देखते हुए रिसर्च की जा रही है।


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